इन 5 कारणों को जान लिया तो ELSS म्यूच्यूअल फंड्स में बनेगा तगड़ा मुनाफा

हर इन्वेस्टर के रिटर्न को एक चीज प्रभावित करती है वोह है टैक्स जी हाँ, एक Taxpayer के रूप में, आपके पास अपनी tax liability को ऑप्टिमाइज़ करने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं, जैसे कि पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी), टैक्स सेवर बैंक एफडी और इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS), आपकी जानकारी के लिए बता दे इन विकल्पों में से, इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस), जिसे आमतौर पर टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड के रूप में जाना जाता है, ने पिछले दशक में Taxpayers के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की है।

आपको बता दे इन फंड्स में Associated tax लाभों का लाभ उठाने के लिए कोई भी इंडिविजुअल और Hindu Undivided Families (HUFs) दोनों ईएलएसएस में निवेश का लाभ उठा सकते हैं।

दोस्तों आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अनुसार, टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम्स की एक श्रेणी है, जिसमें अनिवार्य लॉक-इन पीरियड और एसोसिएटेड टैक्स बेनिफिट्स शामिल होते हैं। ये फंड अपनी संपत्ति यानि (Assets) का कम से कम 80% इक्विटी और इक्विटी-संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं, जिससे सेक्टर और मार्केट कैप स्पेक्ट्रम निवेश में बहुमुखी दृष्टिकोण की अनुमति मिलती है।

चलिए अब 5 करने से जानते है आपको ELSS म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए

#1. ELSS फंड्स में कम होता है लॉक-इन अवधि

Tax Saving Ells mutual funds

ईएलएसएस म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करने का सबसे बड़ा कारन है टैक्स बेनिफिट और कम लॉक-इन अवधि जी हां, आपको बता दे ईएलएसएस या टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड सिर्फ 3 साल की लॉक-इन अवधि के साथ आते हैं वही नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) और टैक्स सेविंग एफडी दोनों की लॉक-इन अवधि 5 साल की होती है।

वही दूसरी और , Public Provident Fund (PPF) में 15 वर्षों के लिए फण्ड को लॉक किया जाता है, जबकि National Pension System (NPS) में 60 वर्ष की आयु तक फण्ड को लॉक किया जाता है। वही अगर आप ईएलएसएस या टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करते है तो आपको टैक्स बेनेफिट्स के साथ म्यूच्यूअल फण्ड में खरीदारी की तारीख से 3 साल के भीतर अपना निवेश किया हुआ पैसा निकालने का सुविधा भी मिलता हैं।

#2. निवेश में मिलता है लचीलापन

एक सिस्टेमेटिक इन्वेस्टिंग दृष्टिकोण को अपनाते हुए, ईएलएसएस एक Systematic Investment Plan (SIP) के माध्यम से नियमित रूप से एक निश्चित राशि निवेश करने की सुविधा प्रदान करता है। ईएलएसएस म्यूच्यूअल फंड्स में आप कम से कम 500 रुपये के न्यूनतम राशि से निवेश शुरू कर सकते है, आपको बताते चले SIP के माध्यम से ELSS निवेश अंतर्निहित rupee-cost averaging के सौजन्य से, आपके पोर्टफोलियो पर बाजार की वोलैटिलिटी के प्रभाव को प्रभावी ढंग से कम करता है।

दोस्तों यह सुविधा समय के साथ आपके धन की चक्रवृद्धि को बढ़ाने की क्षमता रखती है। इसके अलाबा, एसआईपी पद्धति को अपनाने से निवेश के लिए एक अनुशासित दृष्टिकोण को भी बढ़ावा मिलता है, जो आपके म्यूचुअल फंड निवेश से इष्टतम रिटर्न प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।

#3. उच्च रिटर्न देता है ELSS फण्ड

टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड, जिसे आम तौर पर ईएलएसएस कहा जाता है, आकर्षक रिटर्न की क्षमता प्रदान करते हैं जो गैर-बाज़ार-लिंक्ड `टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स से कहीं बेहतर माने जाते है। टैक्स सेवर बैंक एफडी, पीपीएफ और एनएससी जैसे गैर-बाजार-लिंक्ड विकल्पों के विपरीत, जो वर्तमान में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई के प्रयासों के कारण ऐतिहासिक रूप से कम ब्याज दरों से जूझ रहे हैं। दोस्तों ईएलएसएस फंड्स रिटर्न की वास्तविक उच्च दर उत्पन्न करने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता है।

#4. धारा 80सी के तहत मिलता है कटौती का फायदा

दोस्तों अन्य निवेश विकल्पों के विपरीत, ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) या टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड अपने निवेशकों को टैक्स बेनिफिट प्रदान करते हैं। दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दे आप ईएलएसएस में किए गए निवेश के लिए आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कटौती का लाभ उठा सकते हैं, जिसकी अधिकतम सीमा एक वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख रुपये है। उच्चतम टैक्स ब्रैकेट वाले लोगों के लिए, टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करने से कुल मिलाकर 48,600 रुपये तक की महत्वपूर्ण टैक्स बचत हो सकती है।

#5. बाजार के उतार-चराभ से बचने की सुविधा देता है

दोस्तों अनिश्चितता और बाजार में अस्थिरता के दौरान, बड़ी संख्या में निवेशक जल्दबाजी में इक्विटी म्यूचुअल फंड से अपना निवेश निकाल लेते हैं। यह देखते हुए कि ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) या टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड भी मुख्य रूप से शेयरों में ही अपने निवेश आवंटित करते हैं, वे भी बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील रहते हैं।

फिर भी, तीन साल की अनिवार्य लॉक-इन अवधि एक मूल्यवान उपकरण के रूप में कार्य करती है, जो निवेशकों को बाजार की गतिविधियों के उतार-चराभ से खुद को बचाने और एक स्थिर दीर्घकालिक निवेश स्ट्रेटेजी के लिए प्रतिबद्ध होने की अनुमति देती है।

Conclusion

यदि आपका लक्ष्य इन्फ्लेशन से अधिक रिटर्न प्राप्त करना है और कम से कम 3 साल के निवेश क्षितिज के लिए प्रतिबद्ध हैं, तो ईएलएसएस या कर-बचत म्यूचुअल फंड चुनने पर विचार करें। मुझे उम्मीद है की आपको यह इनफार्मेशन काफी अच्छी लगी होगी, अगर आपका इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाब है तो आप हमे कमेंट करके पूछ सकते है, आर्टिकल में अंत तक बने रहने के लिए धनयबाद!

(Disclaimer: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है और किसी भी तरह से वित्तीय सलाह नहीं देता है। कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले, अपना खुद का शोध करें।)

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Rishi Kumar, a content writer from India, specializes in mutual funds, IPOs, and dividends. With a passion for simplifying finance, he brings clarity to complex topics.

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